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छत्तीसगढ के हरदीभाटा गांव को सामाजिक रुपसे न्यायसंगत एवं सामाजिक रुप से संरक्षित पंचायत पुरस्कार घोषित , राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु पुरस्कार प्रदान करेंगी

प्रतियोगिता में 1.94 लाख ग्राम पंचायतों ने भाग लिया। पुरस्कार प्राप्त करने वाली 42 पंचायतों में से 42% पंचायतें महिला नेतृत्व वाली हैं।

नई दिल्ली, 9 दिसंबर 2024 // छत्तीसगढ के धमतरी जिला के नागरी ब्लाक के हरदीभाटा गांव को दिन दयाल उपाध्याय पंचायत सतत विकास के अंतर्गत सामाजिक रुपसे न्यायसंगत एवं सामाजिक रुप से संरक्षित पंचायत के तौर पर पुरस्कार घोषित हुआ है। पंचायती राज मंत्रालय ने मूल्यांकन वर्ष 2022-2023 के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं की घोषणा की है। ये पुरस्कार उत्कृष्टता के एक मानक के रूप में जमीनी स्तर पर समावेशी और सतत विकास को आगे बढ़ाने में देश भर में पंचायती राज संस्थानों के अनुकरणीय प्रयासों को स्वीकार करते हैं। राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2024 के लिए सम्मान समारोह 11 दिसंबर, 2024 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में होगा, जहाँ माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु पुरस्कार विजेताओं/प्राप्तकर्ताओं को पुरस्कार प्रदान करेंगी।
इस वर्ष, विभिन्न श्रेणियों के तहत 45 पुरस्कार विजेताओं का चयन किया गया है, जो जमीनी स्तर पर शासन और सामुदायिक विकास में उपलब्धियों के व्यापक फलक को दर्शाता है । श्रेणियों में दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सतत विकास पुरस्कार, नानाजी देशमुख सर्वोत्तम पंचायत सतत विकास पुरस्कार, ग्राम ऊर्जा स्वराज विशेष पंचायत पुरस्कार, कार्बन न्यूट्रल विशेष पंचायत पुरस्कार और पंचायत क्षमता निर्माण सर्वोत्तम संस्थान पुरस्कार शामिल हैं। ये पुरस्कार गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य, बाल कल्याण, जल पर्याप्तता, स्वच्छता, बुनियादी ढांचे के विकास, सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण और जलवायु स्थिरता जैसे प्रमुख क्षेत्रों में उपलब्धियों को मान्यता देते हैं।
इस श्रेणी में छत्तीसगढ के धमतरी जिला के नागरी ब्लाक के हरदीभाटा गांव को दिन दयाल उपाध्याय पंचायत सतत विकास के अंतर्गत सामाजिक रुपसे न्यायसंगत एवं सामाजिक रुप से संरक्षित पंचायत के तौर पर पुरस्कार घोषित हुआ है।
इस वर्ष प्रतियोगिता में 1.94 लाख ग्राम पंचायतों ने भाग लिया। पुरस्कार प्राप्त करने वाली 42 पंचायतों में से 42% पंचायतें महिला नेतृत्व वाली हैं। सावधानीपूर्वक चयन प्रक्रिया में ब्लॉक स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक 5 विभिन्न समितियों द्वारा सतत विकास लक्ष्यों (एलएसडीजी) के स्थानीयकरण के साथ जुड़े विभिन्न विषयगत क्षेत्रों में पंचायतों के प्रदर्शन का गहन मूल्यांकन शामिल था। यह प्रक्रिया पारदर्शिता को बढ़ावा देने और पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई)/ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) के बीच प्रतिस्पर्धात्मक भावना को प्रोत्साहित करने के लिए मंत्रालय की अटूट प्रतिबद्धता को उजागर करती है।
यह घोषणा पंचायती राज संस्थाओं की सराहनीय उपलब्धियों का जश्न मनाने का मंच तैयार करती है। यह घोषणा सुदृढ़ और जीवंत ग्रामीण समुदायों को आकार देने में पंचायतों की भूमिका पर भी जोर देती है। यह प्रतिष्ठा न केवल इन संस्थाओं द्वारा किए गए असाधारण कार्यों की मान्यता के रूप में कार्य करती है, बल्कि इसका उद्देश्य अन्य पंचायतों को अपने क्षेत्रों में इन सर्वोत्तम प्रथाओं को दोहराने के लिए प्रेरित करना भी है।

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