
AIIMS रायपुर की वीआरडीएल प्रयोगशाला को पहली बार एनएबीएल मान्यता प्राप्त , 12 प्रमुख मानव विषाणु संक्रमणों की पहचान हेतु मान्यता दी
प्रयोगशाला को 12 प्रमुख मानव विषाणु संक्रमणों की पहचान हेतु मान्यता दी है, जिनमें शामिल हैं वायरल मैनिंजाइटिस / एन्सेफलाइटिस, कोविड-19 (SARS-CoV-2) से होने वाला वायरल निमोनिया, स्वाइन फ्लू (H1N1), इन्फ्लुएंजा बी, आरएसवी, 14 उच्च जोखिम वाले ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HR-HPV) जो गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का कारण बनते हैं, एपस्टीन-बार वायरस (EBV), हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस (HSV), साइटोमेगालोवायरस (CMV), हेपेटाइटिस बी और सी वायरल लोड, और डेंगू।
रायपुर, 5 अगस्त 2025// एम्स रायपुर की वायरोलॉजी प्रयोगशाला, जिसे आधिकारिक रूप से माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अंतर्गतराज्य वायरल अनुसंधान एवं निदान प्रयोगशाला (VRDL)के नाम से जाना जाता है, ने 1 अगस्त 2025 को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इस दिन प्रयोगशाला को पहली बारराष्ट्रीय परीक्षण एवं अंशांकन प्रयोगशालाओं की प्रत्यायन बोर्ड (NABL)से मान्यता प्राप्त हुई।
एनएबीएल ने एम्स रायपुर की इस प्रयोगशाला को 12 प्रमुख मानव विषाणु संक्रमणों की पहचान हेतु मान्यता दी है, जिनमें शामिल हैं :
वायरल मैनिंजाइटिस / एन्सेफलाइटिस,
कोविड-19 (SARS-CoV-2) से होने वाला वायरल निमोनिया,
स्वाइन फ्लू (H1N1), इन्फ्लुएंजा बी,
आरएसवी,
14 उच्च जोखिम वाले ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HR-HPV) जो गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का कारण बनते हैं,
एपस्टीन-बार वायरस (EBV),
हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस (HSV),
साइटोमेगालोवायरस (CMV), हेपेटाइटिस बी और सी वायरल लोड, और
डेंगू।
वर्ष 2018 में स्थापित यह प्रयोगशाला न केवल एम्स रायपुर में आने वाले मरीजों को निदान सेवाएं प्रदान कर रही है, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ से आने वाले नमूनों की जांच भी करती है। यह लैब कोविड-19, हेपेटाइटिस A/B/C/E और डेंगू की जाँच में प्रमुख भूमिका निभा रही है और चिकनपॉक्स, कंजंक्टिवाइटिस एवं मम्प्स जैसे वायरल रोगों के प्रकोप की जांच में भी सक्रिय भागीदारी निभाती है।
यह प्रयोगशाला राज्य कीकोविड-19 जांच, गुणवत्ता नियंत्रणऔरSARS-CoV-2 के संपूर्ण जीनोम अनुक्रमणहेतुराज्य नोडल केंद्रके रूप में भी कार्य करती है।
एम्स रायपुर के कार्यकारी निदेशक एवं सीईओलेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त)ने इस उपलब्धि पर पूरी टीम को बधाई दी और इसे छत्तीसगढ़ की जनता को अत्याधुनिक निदान सेवाएं प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
प्रो. (डॉ.)अनुदिता भार्गवने इस एनएबीएल मान्यता को टीमवर्क और समर्पण का परिणाम बताया, वहीं प्रो. (डॉ.)संजय सिंह नेगीने कहा किISO 15189:2022के तहत प्राप्त यह मान्यता प्रयोगशाला की उच्च गुणवत्ता और सटीक परीक्षण सेवाओं को दर्शाती है।
इस उपलब्धि को संभव बनाया संपूर्ण टीम के अथक परिश्रम द्वारा, जिनमें शामिल हैं:डॉ. माधवी मडके (सहायक प्रोफेसर), सीनियर रेजिडेंट्स: डॉ. सजीथा, डॉ. अतिश, डॉ. सुष्री, डॉ. गर्गी, रिसर्च साइंटिस्ट-सी: कुलदीप शर्मा, डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह, साइंटिस्ट-बी: डॉ. रुचि खरे, रिसर्च असिस्टेंट: जियन चंद्रवंशी, लैब टेक्नीशियन: मोहम्मद रफीकुल्लाह खान, हनुमान प्रसाद, डाटा एंट्री ऑपरेटर: कुशन परगनिहा, एमटीएस: अमित मिश्रातथा अन्य समर्पित अनुसंधान कर्मी।
यह उपलब्धि न केवल संस्थान के लिए गौरव का विषय है, बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है।